हर दिन ‘लव जिहाद’ या धर्मांतरण को लेकर खबरें सामने आती रहती हैं. कुछ लोग इसे सिरे से खारिज करते हैं तो कुछ लोग इसकी असलियत को स्वीकार करते हैं. योगी सरकार यूपी में धर्मांतरण कानून भी लेकर आई थी, तो वहीं कर्नाटक की कांग्रेस पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा राज्य में लाए गए धर्मांतरण कानून को रद्द करने जा रही है. इसको लेकर भी भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं. मगर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस मामले को लेकर काफी सख्त है. अब योगी सरकार ने धर्मांतरण और लव जिहाद के मामले में हुई गिरफ्तारियों और केसों के आंकड़े जारी किए हैं.
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दरअसल ताजा आंकड़े कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे हैं कि योगी सरकार लगातार इस मुद्दे पर सख्त बनी हुई है. आपको बता दें कि साल 2021 से लेकर 30 अप्रैल 2023 तक उत्तर प्रदेश में लव जिहाद-धर्मांतरण के 427 मामले दर्ज किए गए. मिली जानकारी के मुताबिक, इसमें करीब 185 मामले ऐसे थे जिसमें पीड़ित ने कोर्ट के सामने जबरन धर्म बदलवाने की बात कबूली है. योगी सरकार के धर्मांतरण कानून के तहत अब तक राज्य में 833 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं.
धर्मांतरण को लेकर सख्त योगी सरकार
दरअसल योगी सरकार धर्मांतरण को लेकर काफी सख्त बनी हुई है. प्रदेश में नाबालिगों के धर्मांतरण के मामले में अब तक करीब 65 केस दर्ज किए गए हैं. यूपी के बरेली जिले में धर्मांतरण के सबसे ज्यादा केस सामने आए हैं.
यूपी पुलिस ने दिव्यांग बच्चों के धर्मांतरण कराने वाले रैकेट का भी खुलासा किया है. तो वहीं इस केस में पीड़िताओं की सुनवाई भी फौरन की जा रही है.
क्या है यूपी का धर्मांतरण कानून
बता दें कि योगी सरकार 27 नवंबर 2020 में धर्मांतरण को लेकर कानून लेकर आई थी. यूपी में धर्मांतरण कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की जेल की सजा मिल सकती है तो वहीं दोषी के खिलाफ 15 से 50 हजार तक का जुर्माना लग सकता है.
जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर कम से कम 15 हजार रुपए के जुर्माने के साथ एक से पांच साल तक की कैद का प्रावधान कानून में है. इसी के साथ एससी/एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान है तो वहीं जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए जेल की सजा तीन से 10 साल और जुर्माना 50 हजार है.
यूपी धर्मांतरण कानून के मुताबिक, अगर विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन कराना है, तो ऐसी शादियों को अवैध करार दिया जाएगा. इसी के साथ अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी देनी होती है.
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