उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में अतिक्रमण हटाए जाने के दौरान मां-बेटी की मौत मामले को लेकर मचे बवाल के बीच राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह घटना दु:खद है. इसके लिए SIT काम कर रही है.
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ABP न्यूज को दिए इंटरव्यू में सीएम योगी ने कहा कि मामले में यह घटना दुखद है. इसके लिए SIT काम कर रही है. हमने Magisterial जांच के भी आदेश दिए हैं.
उन्होंने आगे कहा कि हमें जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए.यह एक संवेदनशील मामला है. मामले में दूध का दूध और पानी का पानी बहुत पारदर्शी तरीके से सबके सामने रखा जाएगा.
बता दें कि सोमवार शाम को कानपुर देहात जिले में रूरा थानाक्षेत्र के मडौली गांव में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान सोमवार को एक अधेड़ उम्र की महिला और उसकी बेटी ने कथित तौर पर अपनी झोपड़ी में खुद को आग लगा ली, जिससे दोनों की मौत हो गई थी.
वहीं, रामचरितमानस विवाद को लेकर सीएम योगी ने कहा कि जो लोग भी इस प्रकार का कार्य कर रहे हैं, वे विकास के मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए और अपने वजूद को बचाने के लिए उनके द्वारा की जा रही एकमात्र छटपटाहट मात्र हैं.
रामचरितमानस के कुछ चौपाइयों को लेकर जो आपत्ति जताई गई है, क्या उसे क्लियर करना चाहेंगे? इस सवाल पर सीएम योगी ने कहा कि जहां जिस मंच पर हमें करना होगा, वहां पर करेंगे भी. मानस के प्रति मेरी आस्था है.
सीएम योगी ने कहा कि शर्म आनी चाहिए उन लोगों को जो रामचरितमानस पर प्रश्न उठा रहे हैं. ये वह ग्रंथ है, जिसने गुलामी के कालखंड में भारत को एक नई दिशा दी थी.
उन्होंने कहा कि रामलीलाओं के माध्यम से हम मंच पर किसी एक अंश को लेकर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं.हमें समग्रता के साथ देखना होगा. आखिर उसी रामचरितमानस में निषादराज की भी चर्चा है और शबरी की भी चर्चा है. अब उसके महत्व को कैसे नकार सकते हैं.
सीएम ने कहा कि हम कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं महान संत तुलसीदास के प्रति. उन्होंने इस प्रकार का पवित्र ग्रंथ लोगों के मार्गदर्शन और उद्धार के लिए लिखा है.
संक्षेप में समझिए यूपी में चल रहे रामचरितमानस से जुड़े विवाद को
गौरतलब है कि सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 जनवरी को कहा था कि श्रीरामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो निश्चित रूप से वह ‘‘धर्म नहीं अधर्म’’ है.
मौर्य ने कहा था, ‘‘श्रीरामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में ‘तेली’ और ‘कुम्हार’ जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है, जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं.’’
मौर्य ने मांग की थी कि पुस्तक के ऐसे हिस्से पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जो किसी की जाति या ऐसे किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं.
पिछले दिनों रामचरितमानस के बयान के विरोध में वाराणसी के टेंगरा मोड़ के पास स्वामी प्रसाद की गाड़ी पर काली स्याही फेंकी गई थी. इस दौरान मौर्य को काले झंडे भी दिखाए गए थे. विरोध करने वाले लोगों ने इस दौरान हर-हर महादेव के नारे भी लगाए थे.
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