मंगेश यादव के एनकाउंटर से पहले गैंग सरगना विपिन सिंह का सरेंडर! इसीलिए अखिलेश ने की जात वाली बात?

महेश शर्मा

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Mangesh Yadav Encounter News: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में पिछले महीने सर्राफा व्यापारी के यहां हुई डकैती मामले के आरोपी बदमाश मंगेश यादव का गुरुवार तड़के STF ने एनकाउंटर कर दिया. बता दें कि मंगेश एक लाख रुपये इनामी बदमाश था. मंगेश के एनकाउंटर के बाद सूबे के सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई. समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने इस एनकाउंटर को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए. अखिलेश ने कहा कि जब डकैती मामले के मुख्य आरोपी विपिन सिंह ने सरेंडर कर दिया था, ऐसे में पुलिस ने मंगेश का एनकाउंटर क्यों किया? अखिलेश ने आरोप लगाते हुए कहा कि 'जात' देखकर यह एनकाउंटर किया गया है और यह मुठभेड़ नकली है. 

कौन है मुख्य आरोपी जिसने किया था सरेंडर?

सुल्तानपुर के एसपी सोमेन वर्मा के अनुसार, बदमाशो के गैंग का सरगना अमेठी के मोहनगंज थाना अंतर्गत भवानीनगर निवासी विपिन सिंह है. विपिन ने घटना के बाद रायबरेली की कोर्ट में गैंगगेस्टर के मामले में सरेंडर कर दिया था. आभूषण व्यवसाई भरत सोनी के यहां लूट में विपिन की गैंग के फुरकान, अनुज प्रताप सिंह, अरबाज, विनय शुक्ला, मंगेश यादव, अंकित यादव, अजय यादव, अरविंद यादव, विवेक सिंह, दुर्गेश प्रताप सिंह शामिल हैं. इससे पहले पुलिस ने एनकाउंटर में तीन बदमाशों सचिन सिंह, पुष्पेंद्र सिंह और त्रिभुवन उर्फ लाला हरिजन गिरफ्तार कर लिया था.

अखिलेश ने क्या-क्या कहा?

अखिलेश ने X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, "लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था, इसीलिए तो नकली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ दिखावटी गोली मारी गयी और ‘जात’ देखकर जान ली गयी."   
 
उन्होंने कहा, "जब मुख्य आरोपी ने सरेंडर कर दिया है तो लूट का सारा माल भी पूरा वापस होना चाहिए और सरकार को मुआवजा अलग से देना चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाओं का जो मानसिक आघात होता है उससे उबरने में बहुत समय लगता है, जिससे व्यापार की हानि होती है, जिसकी क्षतिपूर्ति सरकार करे."

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बकौल अखिलेश, "नकली एनकाउंटर रक्षक को भक्षक बना देते हैं. समाधान नकली एनकाउंटर नहीं, असली कानून-व्यवस्था है.  भाजपा राज अपराधियों का अमृतकाल है. जब तक जनता का दबाव व आक्रोश चरम सीमा पर नहीं पहुंच जाता है, तब तक लूट में हिस्सेदारी का काम चलता रहता है और जब लगता है जनता घेर लेगी तो नकली एनकाउंटर का ऊपरी मरहम लगाने का दिखावा होता है. जनता सब समझती है कि कैसे कुछ लोगों को बचाया जाता है और कैसे लोगों को फंसाया जाता है."

 

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