Mangesh Yadav Encounter Update: उत्तर प्रदेश में हुए एक लाख रुपये के इनामी बदमाश मंगेश यादव के एनकाउंटर को लेकर घमासान जारी है. इस एनकाउंटर के बाद से ही यूपी STF सवालों के घेरे में आ गई है. इस बीच एनकाउंटर मामले में एक नया ट्विस्ट सामने आया है. बता दें कि एनकाउंटर वाले दिन जो बाइक मंगेश यादव के पास थी, अब उसी को लेकर विवाद है. सवाल यह है कि जिस मोटरसाइकिल पर मंगेश यादव भाग रहा था और भागते हुए उसका एनकाउंटर हुआ, वो किसकी है? लूट के वक्त लुटेरे शोरूम पर दो बाइक से पहुंचे थे, वो दोनों किनकी हैं? यूपी Tak ने एनकाउंटर स्थल पर बरामद बाइक और शो रूम के सामने दिख रहीं मोटरसाइकिलों को लेकर तफ्तीश की. इसकी चौंकाऊ कहानी सामने आई. इस कहानी में एक नसीम नाम के शख्स की भी एंट्री हुई है, जिसकी बाइक चोरी की वारदात ने लूट और एनकाउंटर की कहानी को और उलझा दिया है. नसीम के मुताबिक, पुलिस ने उससे कहा है कि उसकी चोरी हुई बाइक का इस्तेमाल सुलतानपुर लूट कांड में हुआ है. पर मामला इससे भी ज्यादा पेचीदा है. खबर में आगे तफ्सील से पूरा मामला जानिए.
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क्या है नसीम की बाइक चोरी होने का एनकाउंटर से कनेक्शन?
सुलतानपुर के कादीपुर इलाके का रहने वाला नसीम 20 अगस्त को अपनी मां मदीना खातून को जौनपुर के पार्थ अस्पताल में हड्डी के डॉक्टर को दिखाने गया था. तब उसने अपनी बाइक अस्पताल के बाहर खड़ी की थी. जब वह वापस आया तो उसने देखा कि मोटरसाइकिल गायब थी. जिस दिन ये मोटरसाइकिल चोरी हुई थी, उस दिन से लेकर अगले कई दिनों तक नसीम रिपोर्ट लिखवाने के लिए लगातार थाने के चक्कर काटता रहा. लिखित शिकायत भी दी. यहां तक कि मोटरसाइकिल चोरी होने के फौरन बाद 112 पर नंबर पुलिस को फोन भी किया, लेकिन मदद नहीं मिली.
फिर अचानक चोरी के आठ दिन बाद पुलिस ने 28 अगस्त की रात 8 बजकर 11 मिनट पर FIR दर्ज कर ली. यहां गौर करने वाली बात यह है कि इसी दिन दोपहर 12:30 बजे करीब सुल्तानपुर के भरत ज्वेलर्स के यहां चोरी डकैती हुई थी.
अचानक क्यों दर्ज हुई FIR?
अचानक एफआईआर दर्ज होने की कहानी यह है कि सुल्तानपुर में लूटपाट के बाद जौनपुर पुलिस नसीम के घर पहुंची और उसे थाने ले गई. 28 अगस्त की पूरी रात नसीम पुलिस के साथ रहा. नसीम के अनुसार, इस वक्त पुलिस ने उसे बताया कि सुल्तानपुर लूट कांड में उसकी भी बाइक का इस्तेमाल हुआ है. इस दौरान पुलिस ने नसीम से लूट कांड को लेकर भी सवाल पूछे. फिर 29 अगस्त की दोपहर को नसीम घर लौटा. लेकिन 29 अगस्त की शाम को पुलिस फिर से उसे अपने साथ ले गई और रात को छोड़ दिया. अब सवाल उठता है कि जिस मोटरसाइकिल की चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए नसीम लगातार थाने के चक्कर काट रहा था, अचानक सुल्तानपुर में डाका पड़ने के बाद उसकी रिपोर्ट इतनी जल्दबाजी में क्यों लिखी गई? इसके पीछे भी कहानी है.
पुलिस की कहानी जानिए
पहली कहानी पुलिस की है. पुलिस के अनुसार, भरत ज्वेलर्स में डाके के लिए पांच लुटेरे दो अलग-अलग बाइक पर आए थे. शो रूम के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में वो दोनों मोटरसाइकिल साफ नजर आईं. लूटपाट के बाद दो लुटेरे एक मोटरसाइकिल पर और तीन लुटेरे दूसरी बाइक पर मौके पर फरार होते हुए दिखे. दोनों ही मोटरसाइकिल पर कोई नंबर प्लेट नहीं था. आगे वाली मोटरसाइकिल के दायीं तरफ डिग्गी लगी हुई थी. मंगेश के एनकाउंटर के बाद मौके पर जो मोटरसाइकिल दिखी, उसमें कोई डिग्गी नहीं थी. लिहाजा बहुत मुमकिन है कि लूटपाट के लिए इस्तेमाल की गईं दोनों मोटरसाइकिल में से एक वही हो, जो 20 अगस्त को चोरी हुई थी. यानी नसीम की मोटरसाइकिल.
नसीम ने की इस बात की पुष्टि
अगर पुलिस की ये कहानी सही है तो मतलब साफ है कि मोटरसाइकिल के इंजन और चेसिस नंबर के जरिए वो इसके मालिक यानी नसीम तक पहुंची और फिर आनन-फानन में 28 अगस्त की रात को ही चोरी की रिपोर्ट दर्ज कर ली. मगर दूसरी तरफ एनकाउंटर स्थल पर मिली बाइक की तस्वीर पर नजर डालने पर पता चलता है कि ये बाइक नसीम की नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि नसीम की बाइक ग्रे कलर की है. संभवता ये वो बाइक है, जो 28 अगस्त की दोपहर लूटपाट के दौरान शो-रूम के बाहर आगे खड़ी हुई थी. इस बात की पुष्टि खुद नसीम ने की है.
सबसे बड़ा सवाल यह है कि एनकाउंटर के वक्त मंगेश के पास से जो बाइक मिली वो किसकी है? क्या ये वही बाइक है, जो सीसीटीवी कैमरे में शो रूम के बाहर कैद हुई और जिस पर लुटेरे भागे? फिलहाल इस मामले को लेकर यूपी पुलिस ने चुप्पी साध रखी है.
मंगेश की बहन ने किया बड़ा दावा
मंगेश यादव की बहन का दावा है कि उसके भाई के पास कोई मोटरसाइकिल नहीं थी. 28 अगस्त की सुबह जब वो मंगेश के साथ फीस जमा करने स्कूल गई थी, तब मंगेश ने अपने एक पड़ोसी से उसकी बाइक मांगी थी.
नसीम की बाइक चुराने वाले वो तीन लड़के कौन?
नसीम के मुताबिक, 20 अगस्त की दोपहर जब उसकी बाइक चोरी हुई, तब उसने खुद अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे में बाइक चुराते तीन लड़कों को देखा. ये तीनों लड़के उसी मोटरसाइकिल के करीब खड़े थे और फिर मोटरसाइकिल लेकर चले गए. लेकिन सीसीटीवी फुटेज इतनी धुंधली थी कि ये पता नहीं चला कि वो कौन थे. नसीम के अनुसार, एनकाउंटर की खबर के बाद उसने मंगेश यादव की तस्वीर मीडिया में देखी थी. मगर सीसीटीवी फुटेज की धुंधली इमेज की वजह से वो ये नहीं बता सकता कि उन तीन लड़कों में मंगेश यादव था या नहीं.
अब सवाल ये उठता है कि पुलिस को कैसे पता चला कि नसीम की चोरी हुई बाइक का इस्तेमाल शो रूम लूट में किया गया? कहानी यहां भी अजीब है. नसीम के अनुसार, यूपी पुलिस या एसटीएफ ने अब तक उसे उसकी मोटरसाइकिल नहीं दिखाई है. न ही यह बताया गया है कि उसकी बाइक कब और कहां से मिली. नसीम ने बताया कि पुलिस ने केवल इतना कहा कि लूट के दिन एक बाइक सुल्तानपुर में लावारिस हालत में पाई गई थी. इसके बाद पुलिस टीम नसीम के घर आई. कुल मिलाकर, नसीम की बाइक की पूरी कहानी उलझी हुई है. हैरानी की बात यह है कि यूपी पुलिस के रिकॉर्ड में अभी तक नसीम की बाइक की बरामदगी दर्ज नहीं है.
(जौनपुर से आदित्य भारद्वाज के इनपुट्स के साथ)
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