वाराणसी में शनिवार को उन्मेष प्रज्ञा प्रवाह एवं अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षक केंद्र, बीएचयू द्वारा लोकमंथन 2022 परिचर्चा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे नंदकुमार ने हिस्सा लिया. उन्होंने कार्यक्रम में लोक की परिभाषा के साथ–साथ भारतीय ज्ञान की भी चर्चा की.
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प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे नंदकुमार ने प्रकृति की विशेषता व उपयोगिता की चर्च करते हुए बताया कि प्रकृति और लोक के अंतर्निहित संरक्षण है. उन्होंने अंबेडकर एवं लोहिया के विचारों में निहित भारतीय एकीकरण के मूल्य से श्रोताओं को परिचित कराया.
उन्होंने राष्ट्र प्रथम की भावना के विकास तथा भारतीय संस्कृति के मूल की खोज लोक संस्कृति में करने का आव्हान किया. इंडिया के स्थान पर भारत शब्द का उद्बोधन करने का विचार दिया. जे नंदकुमार ने बताया कि भारतीय परंपरा में बहिष्करण की अवधारणा का स्थान नहीं है. लोकमंथन लोक संस्कृति को जोड़ की परंपरा है. जन जन के जागरण एवं उसके आध्यात्मिक सांस्कृतिक एवं बहुआयामी विकास की प्रेरणा है.
उन्होंने कहा कि लोकमंथन ने सम्पूर्ण भारत को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी, अरुणाचल से लेकर गुजरात के रण प्रदेश तक समूचे भारत की सांस्कृतिक चेतना का पुनः संवर्धन करने का प्रयास किया है. भारतीय संस्कृति में लोक, जन, ऋषि परंपरा, गावों की विरासत सुदूर पहाड़ से लेकर सागर के तल तक सृजित होती है. जिसकी कल्पना में राष्ट्र सर्वोपरि का चिंतन बोध जन गण मन की लोक परपरा का निर्वहन है.
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