वाराणसी: पहले मस्जिद को रंगा ‘गेरुआ’ रंग में, विरोध हुआ, तो फिर सफेद करने में जुटा प्रशासन

रोशन जायसवाल

• 03:31 AM • 07 Dec 2021

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे से पहले वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) की ओर से बुलानाला कर्णघंटा मस्जिद को हल्के ‘गेरुआ’ रंग…

UPTAK
follow google news

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे से पहले वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) की ओर से बुलानाला कर्णघंटा मस्जिद को हल्के ‘गेरुआ’ रंग में रंगने के मामले में प्रशासन बैकफुट पर आ गया है. दरअसल, मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामियां कमेटी से जुड़े लोगों ने इसका खुले तौर पर विरोध किया था, जिसके बाद प्रशासन फिर से मस्जिद को सफेद रंग देने में जुट गया है.

यह भी पढ़ें...

बता दें कि इसी महीने की 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ विश्वनाथ धाम जिसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम से भी जाना जाता है, उसका लोकार्पण करने आ रहे हैं. इसी को लेकर ना केवल कॉरिडोर, बल्कि पूरे शहर में तैयारियां जोरों पर हैं. तैयारियों की कड़ी में काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाली सड़क के दोनों तरफ की इमारतों को भी हल्के ‘गेरुआ’ रंग से वाराणसी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने रंगवा रहे हैं.

हैरानी की बात यह है कि सैकड़ों मकानों और प्रतिष्ठानों को रंगवाने से पहले उनके मालिकों से पूछने की जहमत VDA ने नहीं उठाई. इसका नतीजा यह हुआ कि बुलानाला इलाके में सड़क किनारे एक काफी पुरानी मस्जिद, जिसे बुलानाला कर्णघंटा मस्जिद के भी नाम से जाना जाता है, उसके सफेद रंग पर VDA ने हल्का ‘गेरुआ’ रंग करा दिया था.

मामले में मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामियां कमेटी के मोहम्मद एजाज इस्लाही ने बताया था कि उनकी मस्जिद का रंग रातोंरात बदल दिया गया. उन्होंने कहा, “अगर कुछ करना भी था तो एक बार पहले बात कर लेनी चाहिए थी, यह मनमानी और तानाशाही है.”

मोहम्मद एजाज इस्लाही ने बताया था कि इस मामले को लेकर उनके समाज में बहुत नाराजगी है. इस्लाही के मुताबिक, “पीएम मोदी कॉरिडोर का उद्घाटन करने जा रहे हैं और यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि सारे लोग उनके साथ हैं लेकिन ऐसा है नहीं.”

वहीं, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी सैयद मोहम्मद यासीन ने भी अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि साजिश के तहत मस्जिदों का रंग बदला गया है. उन्होंने कहा कि यह सारा काम वाराणसी विकास प्राधिकरण की ओर से कराया जा रहा है, ‘लेकिन मस्जिद को जब रंगा गया तो गुरुद्वारा को क्यों छोड़ा गया?’

सैयद मोहम्मद यासीन के मुताबिक, मस्जिदों का रंग ज्यादातर सफेद और हरा होता है और बुलानाला मस्जिद भी इसी रंग में थी, लेकिन फिर इसको जोगिया रंग से मिलते-जुलते रंग से रंग दिया गया.

इलाके के धीरज अग्रवाल नामक दुकानदार ने बताया कि उनकी दुकान को भी रंग दिया गया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जानबूझकर बनारस के माहौल को खराब करने की कोशिश की जा रही है और एक वर्ग को उद्वेलित किया जा रहा है, क्योंकि मस्जिद पर भी रंग रोगन कर दिया गया है.

वाराणसी विकास प्राधिकरण के सचिव और काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया,

“काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तैयारियों के अलावा यह भी कोशिश की जा रही है कि विभिन्न मार्गों का सुंदरीकरण हो जाए. गोदौलिया इलाके से लेकर शीतला घाट तक एक रंग में इमारतों को रंगा गया था और अब इस प्रयोग को मैदागिन इलाके से लेकर गोदौलिया इलाके तक किया जा रहा है.”

सुनील वर्मा.

वहीं, मस्जिद के रंग बदलने की आपत्ति के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था, “अभी ऐसी कोई आपत्ति नहीं आई है और वैसे भी काशी सहिष्णुता और सर्व धर्म का संदेश देती है. किया जा रहा रंग किसी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है. यह बनारस के थीम पर आधारित है, क्योंकि बनारस में ज्यादातर जगहों पर रेड स्टोन लगा हुआ है और उसी थीम को आगे बढ़ाया जा रहा है.”

‘पब्लिक ट्रांसपोर्ट में रोपवे सेवा को शुरू करने वाला पहला भारतीय शहर बनेगा वाराणसी’

    follow whatsapp