बलरामपुर में रहस्यमयी बुखार का प्रकोप, एक हफ्ते में एक ही गांव के 9 लोगों की मौत

सुजीत कुमार

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बलरामपुर के ललिया थाना क्षेत्र के मोतीपुर गांव में रहस्यमयी बुखार से एक ही गांव में 7 बच्चों समेत 9 लोगों की मौत होने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. इसके बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुशील कुमार और स्थानीय विधायक कैलाश नाथ शुक्ला ने गांव में पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया.

बताया जा रहा है कि मोतीपुर गांव में दूषित पेयजल और खुले में शौच जाने के कारण यह बीमारी फैली है. अंधविश्वास के चक्कर में लोग समय रहते इलाज कराने की बजाए झाड़-फूंक में जुटे रहे. समय से इलाज मिलने न मिलने पर गांव में एक हफ्ते में 9 लोगों की मौत हो गई.

सीएमओ के गांव में पहुंचने के बाद बीमार ग्रामीणों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. सीएमओ ने ग्रामीणों से अंधविश्वास में पड़ने की बजाए अस्पताल जाकर इलाज करवाने की अपील की है. उनके निर्देश पर अब गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम तैनात कर दी गई है. संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए ग्रामीणों को दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं. इसके अलावा आस-पास के गांव में भी स्वास्थ्य विभाग की टीमें तैनात कर दी गई हैं.

वहीं, इस मामले में ग्रामीण स्तर पर तैनात स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. समय रहते इसकी सूचना उच्चाधिकारियों तक नहीं पहुंचाई गई. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही को देखते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने स्थानीय डॉक्टर बृजेश और डॉ. फैयाज का वेतन रोकते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवपुरा के अधीक्षक डॉ. प्रणव पांडे से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है.

मामले को लेकर सीएमओ डॉक्टर सुशील कुमार ने बताया,

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गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम तैनात कर दी गई है. गांव में जो भी बच्चे बीमार होंगे, उन्हें इलाज के लिए 102 और 108 एम्बुलेंस सेवा के माध्यम से शिवपुरा सीएचसी ले जाया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को लापरवाही पर चेतावनी दी गई है. इसके अलावा मामले में जांच की जाएगी, जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

सुशील कुमार, सीएमओ, बलरामपुर

वहीं, स्थानीय विधायक कैलाश नाथ शुक्ला ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि गांव में झाड़-फूंक के चक्कर में लोग दवा लेने में चूक करते हैं. उन्होंने कहा, “मैंने गांव वालों से आग्रह किया है कि वे सभी लोग दवा का इस्तेमाल करें. स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम यहां तब तक कैंप लगाएगी, जब तक गांव में बीमारी का समाधान नहीं हो जाता है.”

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