गोरखपुर: सरकारी स्कूलों में आधा सत्र बीता पर नहीं म‍िली क‍िताबें, एक लाख बच्चों को इंतजार

रवि गुप्ता

• 03:04 PM • 11 Nov 2022

सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार की बस एक ही मंशा है कि सभी को शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिले. परिषदीय स्कूलों में यूं…

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सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार की बस एक ही मंशा है कि सभी को शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिले. परिषदीय स्कूलों में यूं तो अप्रैल महीने से शिक्षण सत्र शुरू हो जाता है लेकिन नवबंर का महीना चल रहा है,पर अब तक बच्चों को पूरी किताबें नहीं मिल पाईं हैं. गोरखपुर के परिषदीय स्कूलों में आधा से अधिक सत्र बीत चुका है, मगर अभी तक किताबों के शत प्रतिशत वितरण के लक्ष्य को विभाग हासिल नहीं कर सका है.इस वजह से पूरा का पूरा पाठ्यक्रम ही पिछड़ता जा रहा है. अध्यापक भी जैसे तैसे पुरानी किताबों के माध्यम से अध्यापन कार्य को पूरा कराने में लगे हैं.

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गोरखपुर जनपद के 2514 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कम्पोजिट विद्यालयों में करीब 3 लाख 50 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत है. जिन्हें कक्षा एक से आठवीं तक की तक़रीबन 25 लाख से अधिक किताबें शासन की ओर से निःशुल्क वितरण की जाती है. मौजूदा सत्र 2022-23 में नवबंर तक बड़ी संख्या में विद्यार्थी किताब से वंचित हैं.

जानकारी के मुताबिक अभी एक लाख से अधिक किताबों का वितरण किया जाना बाक़ी है. विभाग का दावा कि जैसे-जैसे किताब आ रहा है, उनका वितरण हो रहा है. वहीं, परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वालों बच्चों को शासन की ओर से स्कूल यूनिफ़ॉर्म, स्कूल बैग, जूता मोजा, स्वेटर और स्टेशनरी के मद में 1200 रुपए की धनराशि डीबीटी(डिरेक्ट बेनेफ़िट ट्रांसफ़र) के माध्यम से अभिभावकों के खाते में भेजी जानी है. जनपद में नामांकित 3.50 लाख बच्चों के सापेक्ष मात्र 3.30 लाख बच्चों को डीबीटी के तहत धनराशि भेजी गई है.

बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेंद्र कुमार सिंह के मुताबिक किताबें बंट चुकी हैं. बस एक लाख लोगों को किताबें नहीं मिल पाई हैं. 26 लाख के सापेक्ष 25 लाख किताबें बंट चुकी है. बस एक लाख की संख्या रह गई है, वो भी गाड़ी कल प्राप्त कर ली गई है. जल्द ही सत्यापन कराकर उसे भी बांट लिया जाएगा.

किताब बांटने में इतनी देर क्यों? इस सवाल पर बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि कोरोना काल की वजह से कुछ लेट हुआ तो कुछ कावड़ यात्रा की वजह से विलंब हुआ. कांवड यात्रा की वजह से किताब वाली ट्रक रास्ते में ही पूरे २० दिनों तक फस जा रही थी जिससे हमको किताबें समय से प्राप्त नहीं हुई. उन्होंने बताया कि रही बात 1200 रुपए मद की तो सिर्फ़ 20 हज़ार बच्चे और बचे हैं. उनका आधार बनने में समय लग गया था, जब नए एनरोलमेंट होते है तो उनका आधार बनता है. ऐसे में एक महीने का समय उसी में लग जाता है. इसलिए मद देने में विलंब हो रहा है. जल्द ही इसको भी कर लिया जाएगा और मंगलवार तक बचे हुए बच्चों में किताब बंट जाएगा.

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