रामचरितमानस में लिखी चौपाइयों को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का दिया बयान उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया रंग चढ़ा रहा है. कभी राम और उनके मंदिर के नाम पर उत्तर प्रदेश की सियासत होती थी. अब राम के रामचरितमानस पर सियासत हो रही है. इस नई सियासत में कोई पोस्टर लगाकर सुर्खियां बटोर रहा है तो कोई प्रदर्शन कर रहा है तो किसी ने मंदिर में बुद्धि-शुद्धि यज्ञ की कामना के लिए पाठ किया.
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जिस समाजवादी पार्टी के दफ्तर के बाहर कुछ वक्त पहले तक मुलायम सिंह यादव, राम मनोहर लोहिया, जनेश्वर मिश्र के साथ अखिलेश यादव और डिंपल यादव की तस्वीरों के पोस्टर लगे होते थे. कुछ दिनों से शिवपाल यादव के भी पोस्टर लगने लगे थे.
अब उस समाजवादी पार्टी के दफ्तर के बाहर नए रंग और भाषा के पोस्टर नजर आ रहे हैं. किसी ने अपने नाम के आगे शूद्र लिखकर दलित के सम्मान की बात की, तो किसी को रामचरितमानस में लिखी चौपाइयों पर नारी का अपमान नजर आया, तो किसी ने खुद को अछूत कहने पर सवाल खड़े किए.
90 के दशक में, गर्व से कहो ‘हम हिंदू हैं’ के जिस नारे के साथ भाजपा ने राम आंदोलन की शुरुआत की आज वही नारा समाजवादी पार्टी के बाहर लिखा नजर आ रहा है. बस शब्द बदल गए हैं. गर्व से कहो हम शुद्र है,के बाद अब ‘गर्व से कहो हम ब्राह्मण हैं’ के पोस्टर लगाए गए. तो कोई अब जातीय जनगणना की भी मांग करने लगा है.
बसपाई से भाजपाई और भाजपाई से सपाई हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर बयान दिया. तमाम हिंदू संगठन लामबंद होने लगे, किसी ने सिर काटने पर इनाम रख दिया तो किसी ने थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी लेकिन दूसरी तरफ स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में भी लोग सड़कों पर उतर आए है.
खुद को अंबेडकरवादी-परियारवादी बताने वाले लोग मौर्य के समर्थन में उतरे लोग के खिलाफ टिप्पणी करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की मांग की.
यूपी की सियासत का नया सिलसिला यहीं नहीं थमा. जिस दलित और शोषित वर्ग के सम्मान को लेकर लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य और समाजवादी पार्टी गुस्से में है. उसी वाल्मीकि समाज के कुछ नौजवान राम भक्त हनुमान के मंदिर में सुंदरकांड का पाठ करने लगे.
उद्देश्य है कि हनुमान जी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की बुद्धि को ठीक करें. हनुमान जी की शरण में बैठे बाल्मीकि समाज के नौजवानों का कहना है कि यह हम दलितों को बांटने की कोशिश है. हमारे भगवान वाल्मीकि ने रामायण लिखी उनकी लिखी रामायण को तुलसीदास ने साधारण भाषा में लिखा और अब सपा अपनी वोट की राजनीति के लिए हिंदुओं को बांटने का काम कर रही है.
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