UP News: चुनाव के बाद यूपी में नया घमासान शुरू हो गया है. पुलिस और ब्यूरोक्रेसी बनाम बीजेपी चरम पर है. कहीं बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी के साथ पुलिस की बदसलूकी, अयोध्या के महंत राजू दास और डीएम अयोध्या के बीच बहस के दावे या उनकी सुरक्षा हटा लेने की कहानी हो, हर ओर गतिरोध जारी है. ऐसे में विपक्ष आरोप लगा रहा है कि यूपी में पुलिस और ब्यूरोक्रेसी का राजनतिकीकरण हो चुका है.
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उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली हार के बाद माहौल पूरी तरह से बदला-बदला नजर आ रहा है. राकेश त्रिपाठी के साथ हुई बदसलूकी के मामले ने तूल पकड़ना भी शुरू कर दिया है. ये मामला दिल्ली तक पहुंच गया है. इसकी वजह ये है कि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राधामोहन दास अग्रवाल ने यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार और गृह सचिव दीपक कुमार को घटना पर संज्ञान लेने की गुजारिश की है. हालांकि, इसके बाद दरोगा को सस्पेंड कर दिया गया है. यूपी में पहले इस तरह का माहौल देखने को नहीं मिलता था, लेकिन चुनावी हार के बाद अधिकारियों की लगातार बीजेपी नेताओं के साथ नोंकझोंक हो रही है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शहीद पथ पर देर शाम पुलिस ने राकेश त्रिपाठी की गाड़ी रोकी और चेकिंग के बहाने बदसलूकी की गई। बीजेपी नेता अपने परिवार के साथ घर जा रहे थे. उनका आरोप है कि परिचय देने पर भी पुलिस ने उनके साथ बदसलूकी की। राकेश त्रिपाठी श्रीनगर से परिवार समेत लौट रहे थे, तभी रास्ते में उन्हें रोककर बदसलूकी की गई.
राकेश त्रिपाठी ने अपनी गाड़ी से बीजेपी का झंडा उतार दिया है. बड़ी बात ये है कि बीजेपी की हार की समीक्षा बैठक में भी अधिकारियों की इसी बदसलूकी की शिकायत की गई है. बीजेपी प्रवक्ता के साथ हुई घटना से इस मामले ने और तूल पकड़ लिया है.
इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश की फैजाबाद सीट पर बीजेपी को हार मिली थी. अयोध्या में हुई बीजेपी की हार को लेकर समीक्षा का दौरा अब भी जारी है. वहीं अयोध्या में बीजेपी की हार को लेकर हुई समीक्षा बैठक में अयोध्या के जिलाधिकारी और हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास की तीखी नोक झोंक हो गई. इस दौरान योगी सरकार के दो मंत्री भी वहां मौजूद थे. वहीं महंत और डीएम के बीच हुई नोंक-झोंक के बाद महंत राजूदास के गनर को हटा दिया गया. हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास के गनर हटाए जाने पर सियासी पारा चढ़ गया। इसको लेकर विपक्ष भी बीजेपी पर हमलावर है.
अयोध्या विवाद पर बीजेपी सहित विपक्ष की भी नजर है. सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आनन-फानन में महंत राजू दास को लखनऊ बुलाया था. महंत राजू दास और सीएम योगी के बीच सीएम आवास में लगभग 25 मिनट बातचीत हुई थी. महंत राजू दास ने अयोध्या डीएम नीतीश कुमार के साथ झगड़े पर अपनी बात सीएम के पास रखी थी. अयोध्या में तैनात अधिकारियों के व्यवहार और कार्यप्रणाली पर ऐतराज जताते हुए महंत राजू दास ने सीएम योगी के सामने अपनी बात रखी थी.
हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भी कई बार इस तरह के गतिरोध की चर्चा सामने आई थी. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उस दौरान एक चुनावी मंच से यह भी कह दिया था कि बीजेपी का हर कार्यकर्ता केशव प्रसाद मौर्य है और अगर वह किसी भी थाने में जाता है तो उसकी सुनवाई होनी चाहिए. यह बयान तमाम उन आरोपों के बाद आया था जिन में कहा गया था कि भाजपा कार्यकर्ता की सुनवाई तक थानों में नहीं हो रही है.
यूपी में चल रहे ब्यूरोक्रेसी बनाम बीजेपी के घमासान पर क्या भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद जगदंबिका पाल ने कहा, "ब्यूरोक्रेसी और सरकार में कहीं टकराव नहीं है. सब एक साथ समन्वय में काम कर रहे हैं. यूपी आज सबसे गुड गवर्नेंस स्टेट है योगी आदित्यनाथ की सरकार सुशासन की सरकार है. उन्होंने कहा कहीं किसी स्थानीय स्तर पर जैसे राकेश त्रिपाठी की घटना का उल्लेख हुआ तो उन्होंने अपने मामले में शिकायत की और उसे पर कार्रवाई भी हुई है."
यूपी में खराब प्रदर्शन पर जगदंबिका पाल बोले, "पार्टी चिंतन करेगी, समीक्षा बैठकें चल रही हैं. जो निष्कर्ष आएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी, प्रजातंत्र में यह सब होता रहता है."
बीजेपी बनाम ब्यूरोक्रेसी पर समाजवादी पार्टी ने किया पलटवार:
इस घमासान के बीच अब समाजवादी पार्टी भी हमलावर है. सपा प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा की उत्तर प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी और पुलिस का राजनीतिकरण हो चुका है और यही कारण है की अयोध्या में कहीं राम पथ की सड़कें टूट रही हैं, मंदिर से पानी लीक हो रहा है तो कहीं पेपर लीक हो रहा है.
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