Gorakhpur News: आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. छठ पर्व कितना खास है इसकी एक बानगी गोरखपुर में भी देखने को मिलती है. यहां करीब 40 की संख्या में किन्नर 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. एक तरफ जहां व्रती महिलाएं अपने बेटों के लिए यह व्रत रखती हैं तो दूसरी तरफ किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर त्र्यम्बककेश्वरी नंदगिरी उर्फ किरण बाबा गोरखपुर की जनता को अपनी औलाद मानकर और उनकी सलामती के लिए यह कठिन व्रत रखती हैं.
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छठ महापर्व को लेकर महामंडलेश्वर त्र्यम्बककेश्वरी नंदगिरी उर्फ किरण बाबा ने बताया कि छठ पर्व को लेकर तैयारियां की जा रही हैं. आज खरना था इसलिए आज हम लोग खीर बना रहे थे, जिसमें दूध, चावल के साथ मिठास के लिए गुड़ डाला जाता है. इसके बाद लकड़ी का चूल्हा को ईट से घेरकर उस पर रोटी बनायी जाती है. हम लोग मिट्टी के हंडिया में रोटी बनाते है. इसी के साथ हम लोग छठ मैया से माफ़ी और विनती मांग कर घंटा भी बांधते है.
उन्होंने आगे कहा कि, सूर्य को अर्घ्य देने के बाद यही प्रसाद हम खाकर सो जाते हैं. ये परंपरा बिहार और कोलकाता से ऐसे ही चलती आ रही है, जिसको हम लोगों ने अपना लिया है. हम पिछले 15 सालों से गोरखपुर में छठ पर्व मनाते आ रहे हैं. जिस तरह मां अपने बच्चों के लिए व्रत रखती हैं उसी तरह हम अपनी जनता के लिए व्रत रखते है क्योंकि आप ही लोग हमारे सब कुछ हैं.
किरण बाबा ने आगे कहा कि, हम जनता की सलामती के लिए व्रत रखते हैं. नहाय खाय से हम लोग भात खाकर हमारा 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया है. व्रत सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होगा. इस पकवान को बनाने के लिए हम ख़ास तैयारी करते है. हम लोग मुंह पर कपड़ा बांधकर खाना पकाते हैं, जिससे कि बोलते समय हमारे मुंह से आवाज निकलने पर गलती से भी झूठा खाने पर ना पड़े.
उन्होंने बताया कि इस दौरान साफ-सफाई का भी खास ध्यान रखा जाता है. सूर्य को अर्घ्य देने के लिए हम अपने घर से तीन किमी दूर तालाब तक लेटते हुए जाते है, जिसको देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं.
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